राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद ने दी चेतावनी

आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव

विस में पारित कर केंद्र को भेजें

नहीं तो सरकार का होगा विरोध| 

     
       राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद की
बैठक रविवार को नगरा टोली में हुई।
इसमें विभिन्न राज्य एवं जिलों के
प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में
आदिवासी धर्म कोड को लेकर चर्चा
हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते
हुए राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद
के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचएन रेकवॉल
ने कहा कि आदिवासी भारत के मूल
नागरिक हैं। इनकी 800 कम्युनिटी
देश में निवास करती है। संविधान
के आर्टिकल 342 में यह निहित है,
1871 के पहले जनगणना से लेकर
1951 तक प्रभावी रूप से लाग
रहा, जिसे राजनीति षड्यंत्र के तहत
पिछली सरकार ने बाद में इसे खत्म
कर दिया। पिछली सरकार की मंशा
आदिवासियों के प्रति गैर जिम्मेदाराना
रवैया को प्रदर्शित करती है।
राष्ट्रीय आदिवासी इंडीजीनस
धर्म समन्वय समिति के राष्ट्रीय
संयोजक अरविंद उरांव एवं जय 
आदिवासी केंद्रीय परिषद के प्रदेश 
प्रवक्ता हलधर चंदन पाहन ने कहा कि
2021 जनगणना प्रपत्र आदिवासियों में
के अलग कॉलम को लेकर झारखंड र
सरकार के सत्ता पक्ष एवं विपक्ष पर में
समाज की नजर है। इस सत्र में सभी 
81 मंत्री विधायक के जनप्रतिनिधि
 गण इसकी अनुशंसा कर विधानसभा
से पारित कर इसे जल्द केंद्र को
 भेजें। अन्यथा सरहुल में सरकार के
खिलाफ इस मामले को लेकर जोरदार
विरोध होगा। आदिवासी छात्र मोर्चा
के युवा नेता अजय टोप्पो एवं जय
आदिवासी केंद्रीय परिषद के महिला
अध्यक्ष निरंजना हेरेंज टोप्पो ने कहा
कि झारखंड राज्य जिन आकांक्षाओं
तहत बना और अपने घोषणा पत्र में
जिन वायदों के तहत सरकार सत्ता
में आई। उन्हीं विश्वासों को कायम
रखते हुए सरकार सरहुल महापर्व
में आदिवासियों को धर्म-कोड की
सौगात धर्म कोल्लम महोत्सव के 
रूप में दें।


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