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Adivasi means Adivasi

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आदिवासी मतलब आदिवासी     आदिवासी परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने मृत्यु तक आदिवासी ही रहेगा लेकिन उसके अनुसूचित जनजाति बने रहना सरकार के द्वारा निर्धारित शर्तों पर निर्भर करता है 1. आदिम लक्षण 2. अलग संस्कृति 3. भौगोलिक अलगाव 4. बृहत समुदायों से मिलने में संकोच और 5. आर्थिक पिछड़ापन यदि कोई समुदाय उक्त शर्तों को पूरा नहीं करता है तो उसे अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर किया जा सकता है। आदिवासी होने के लिए एक व्यक्ति को आदिवासी मा पिता से जन्म लेना ही काफी है क्योंकि आदिवासी समुदाय में जन्म लेने के बाद उस समुदाय की भाषा, संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाज, आदिवासियत सबकुछ उसके अंदर स्वतः ही आ जाता है। एक आदिवासी को अनुसूचित जनजाति तो बनाया जा सकता है लेकिन एक अनुसूचित जनजाति को आदिवासी नहीं बनाया जा सकता है क्योंकि आदिवासी होने के लिए उसके अंदर आदिवासियत होना सबसे बड़ी शर्त है जो जन्म से आता है। सरकार, उनका कानून और उनका कोर्ट तय नहीं कर सकता है कि आदिवासी कौन है? हमारे पूर्वज आदिवासी थे, हम आदिवासी है और हमारे आने वाली पीढ़ियां भ...

How to relief from hinduism..

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      हिंदुत्ववाद से कैसे राहत मिलेगी...          सरना समाज झारखंडी आदिवासी के लोग हिंदू संस्कृति के गुलामी में जी रहे हैं शिव ,काली, मनसा, की पूजा सरना संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है हिंदू संस्कृति का यही गुलामी के कारण सरना कोड लागू करना बहुत मुश्किल है। प्राचीन काल में ही ब्राह्मणों ने अपना संस्कृति को आदिवासी समाज में फैला दिया है ओझा प्रथा या जादू टोना प्रथा का गहरा असर पड़ रहा है क्योंकि यह शिव काली, मनसा, पर आधारित हिंदू संस्कृति है अभी भी 60% सरना वासी शिव, काली मनसा के कट्टर भक्त है सरना कोड लागू होने पर हिंदृ देवी देवताओं की पूजा को सरना संस्कृति से बाहर कर दिया जाएगा। । ऐसे में इन हिंदू देवी देवताओं के भक्तों का गुस्सा होना निश्चित है |    हमारे नेता लोग यह चीज अच्छी तरह से जानते हैं इसलिए सरना कोड लागू करना ही नहीं चाहेगा क्योंकि अधिकतर आदिवासी नेता के बेटा बेटी लोग दिकू से शादी किए हैं और हमारे आदिवासी समाज के अगुआ गन हिंदृ देवी देवताओं का दर्शन करते हैं जिस दिन हिंदू देवी देवताओं की पूजा अर्चना छोड़ द...

How to teach about humanity and our culture to our next generation...!

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हमारी अगली पीढ़ी को मानवता और हमारी संस्कृति के बारे में कैसे पढ़ाया जाए ...!      जय जोहार साथियों ! आपने इतना तो सुना ही होगा की लोगों को देख देख कर जल्दी सीखने की आदत होती है |आज समाज के सामने एक चुनौती हैं की कैसे हम आने वाली पीढ़ी को इस दुनिया के दिखावटी आदर्शवाद से दूर रख कर उन्हें वास्तविक इन्सानियत की परिभाषा सिखाये। हमें सीखना पड़ेगा की कैसे प्रकृति को बिना नुकसान पहुंचायें हम अपनी जरूरतें पूरी कर सके ताकि प्रकृति भी हमें अपनी गोद में सुकून से रहने दें पर ये सब किताबों की पढ़ाई से संभव नहीं होगा | हमे घरेलू स्तर पर भी अपने छोटे छोटे बच्चों को हमारी संस्कृति, बोली, भाषा से खुद रूबरू कराना पड़ेगा। खास कर st/sc/obc समुदाय को अपने बच्चो के दिमाग में हिन्दू मुस्लमान का कीड़ा तो घुसने ही नहीं देना है और बच्चो के दिमाग में बचपन से ही छोटा भीम कार्टून की कहानियों की जगह बाबा साहब की कहानियों को दिखाना शुरू करना पड़ेगा। इतना तो जरूर सीखाना ही पड़ेगा की बच्चा गांधी और गोडसे में से अच्छे बुरे की पहचान सके सके |और सबसे बड़ी बात की हम प्रकृति पूजक ...

आदीवासी लोग मंदिर/चर्च/आदि जगहों पर क्यों जाते हैं ?

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आदीवासी  लोग मंदिर/चर्च/आदि जगहों पर क्यों जाते हैं ?              जोहार  साथियों!! हमारे किसी facebook मित्र ने सभी आदिवासी साथियों से एक सवाल किया था कि "आखिर आदीवासी लोग मंदिर/चर्च/आदि जगहों पर क्यों जाते हैं " तो इस सवाल ने मुझे बहुत परेशान किया था और मैने पाया कि- और जो कुछ हमने पाया वो बातें आप सभी लोगों से साझा करने के दिल किया जो इस तरह से है!! प्रकृति से दूर हो कर किसी न किसी भी तरह से भोग वस्तों को कैस्नो प्राप्त कर ले !! ये सब कुछ एक आकर्षण है और एक झुठा अभिमान के सेवायें और कुछ भी नहीं !! जिस तरह से रात को जुगनुओं का झुण्ड ये समझ कर बहूत इत्रता(घमंड) दिखता है कि हम लोगों के कारण से ही जग(संसार) में रौशनी फैलती हैं !!      पर जब रात होने लगती हैं तो पुरे आकाश में सितारे टिमटिमने लगती हैं और फिर सितारे ये गलतफहमियां पाल लेते हैं कि पुरे विश्व में हमारे द्वारा ही रौशनी फैल रही है पर __ कुछ देर बाद ही सितारों का झुठा स्वाभिमान टूटता सा महसूस होता है जब पुर्ण चंद्रमा अपनी चंदनी की रौशनी चारों ओर ...