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Showing posts from February, 2020

sarhul parab-festival of adivasi

      सरहुल   परब/ सरहुल  त्योहार.. !! "जय जोहार" !! "जय धरमे सबको" मुण्डा भाषा परिवार में बाहा/बा और दविड़ भाषा परिवार की कुड़ख/माल्तो में खद्दी का अर्थ फूल होता है और सभी फूलों के प्रतिनिधि के रूप में शाल का फूल। नागपुरी इत्यादि आर्य भाषाओं में प्रचलित सरहुल की व्युत्पत्ति सरई-हुल 'सरई' समूह ही है। अर्थ विस्तार में सरहुल शाल फूल के माध्यम से सारी प्रकृति के नवरूप का स्वागत ही है। शेष समग्र भारतीय परम्परा के साथ समयान्तर से यह ऋतु नये वर्ष के आगमन की भी सूचना है। यही कारण है कि किसी आदिवासी गाँव में पाहन/बैगा द्वारा विधिवत स्वागत पूजा के पहले कोई भी वन से फूल-पत्तियाँ नहीं लाता,ना ही खाता है। जब नये प्रकृति का स्वागत करना है तो आदमी अपनी अपनी समग्रता में नया होकर उसका स्वागत करता है। घर-द्वार की मरम्मत और लिपाई-पुताई करता है,नये कपड़ा खरीदता है और उस अवसर पर कुटुम्बों को बुलाकर पुराने संबंधों को नया करता है। पूरे झारखंड क्षेत्र में यह पर्व फागुन पूर्णिमा(होली पर्व) के दिन पूरब (बंगाल) में आरंभ होकर वैशाख पूर्णिमा तक पश्चिम (मध्य प...

Smita Kumari Oraon

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सिसई की आदिवासी बेटी ने मिस झारखंड एशिया इंटरनेशनल इंडिया का खिताब जीता           सिसई द्यसिसई प्रखंड के सिसई बस्ती की आदिवासी बेटी कुमारी स्मिता ने मिस झारखंड एशिया इंटरनेशनल इंडिया 2020 का खिताब जीता है। इसका आयोजन ग्लोबल इंडिया इंटर्नमेंट प्रोडक्शन की तरफ से दिल्ली में आयोजित किया गया था। इस दौरान कुमारी स्मिता ने कल 73 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए सफलता प्राप्त की है। स्मिता वर्ष 2009 में सरस्वती विद्या मंदिर कुदरा सिसई में मैट्रिक प्रथम श्रेणी से पास करने के बाद मारवाड़ी कॉलेज रांची में बीबीए की पढ़ाई पूरी की। भवनेश्वर में मानव संसाधन विषय में एमबीए कर चुकी है। इसके पूर्व झारखंड में हुए ब्यूटी कॉन्टेस्ट मिस सुपर मॉडल में रनर अप भी रह चुकी है। अब मॉडलिंग में अपना भविष्य देख रही हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने दृढ़ निश्चय और अपनी मां वसुधा देवी और बड़े भाई शनिचरण उरांव उर्फ बंटी को देती हैं। उन्होंने बताया कि जीवन के हर फैसले में उसके परिजनों ने उसके प्रति विश्वास जताया है। उनकी मां ने कहा कि बच्चों को अपनी इच्छा अनुसार भविष्य बनाने...

How to relief from hinduism..

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      हिंदुत्ववाद से कैसे राहत मिलेगी...          सरना समाज झारखंडी आदिवासी के लोग हिंदू संस्कृति के गुलामी में जी रहे हैं शिव ,काली, मनसा, की पूजा सरना संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है हिंदू संस्कृति का यही गुलामी के कारण सरना कोड लागू करना बहुत मुश्किल है। प्राचीन काल में ही ब्राह्मणों ने अपना संस्कृति को आदिवासी समाज में फैला दिया है ओझा प्रथा या जादू टोना प्रथा का गहरा असर पड़ रहा है क्योंकि यह शिव काली, मनसा, पर आधारित हिंदू संस्कृति है अभी भी 60% सरना वासी शिव, काली मनसा के कट्टर भक्त है सरना कोड लागू होने पर हिंदृ देवी देवताओं की पूजा को सरना संस्कृति से बाहर कर दिया जाएगा। । ऐसे में इन हिंदू देवी देवताओं के भक्तों का गुस्सा होना निश्चित है |    हमारे नेता लोग यह चीज अच्छी तरह से जानते हैं इसलिए सरना कोड लागू करना ही नहीं चाहेगा क्योंकि अधिकतर आदिवासी नेता के बेटा बेटी लोग दिकू से शादी किए हैं और हमारे आदिवासी समाज के अगुआ गन हिंदृ देवी देवताओं का दर्शन करते हैं जिस दिन हिंदू देवी देवताओं की पूजा अर्चना छोड़ द...

How to teach about humanity and our culture to our next generation...!

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हमारी अगली पीढ़ी को मानवता और हमारी संस्कृति के बारे में कैसे पढ़ाया जाए ...!      जय जोहार साथियों ! आपने इतना तो सुना ही होगा की लोगों को देख देख कर जल्दी सीखने की आदत होती है |आज समाज के सामने एक चुनौती हैं की कैसे हम आने वाली पीढ़ी को इस दुनिया के दिखावटी आदर्शवाद से दूर रख कर उन्हें वास्तविक इन्सानियत की परिभाषा सिखाये। हमें सीखना पड़ेगा की कैसे प्रकृति को बिना नुकसान पहुंचायें हम अपनी जरूरतें पूरी कर सके ताकि प्रकृति भी हमें अपनी गोद में सुकून से रहने दें पर ये सब किताबों की पढ़ाई से संभव नहीं होगा | हमे घरेलू स्तर पर भी अपने छोटे छोटे बच्चों को हमारी संस्कृति, बोली, भाषा से खुद रूबरू कराना पड़ेगा। खास कर st/sc/obc समुदाय को अपने बच्चो के दिमाग में हिन्दू मुस्लमान का कीड़ा तो घुसने ही नहीं देना है और बच्चो के दिमाग में बचपन से ही छोटा भीम कार्टून की कहानियों की जगह बाबा साहब की कहानियों को दिखाना शुरू करना पड़ेगा। इतना तो जरूर सीखाना ही पड़ेगा की बच्चा गांधी और गोडसे में से अच्छे बुरे की पहचान सके सके |और सबसे बड़ी बात की हम प्रकृति पूजक ...

हम आदिवासी क्यों हैं?

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हम आदिवासी क्यों हैं? आदिवासी और अनुसूचित जनजाति होना दो अलग- अलग बात हैं। 'आदिवासी' प्रकृति द्वारा सृजन किया गया एक स्थायी अवस्था है जबकि 'अनुसूचित जनजाति' शासनतंत्र के द्वारा बनाया गया एक अस्थायी अवस्था है। आदिवासी परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने मृत्यु तक आदिवासी ही रहेगा | लेकिन उसके अनुसूचित जनजाति बने रहना सरकार के द्वारा निर्धारित शर्तों पर निर्भर करता है। एक आदिवासी समुदाय एक राज्य में अनुसूचित जनजाति की सूची में है जबकि वही समुदाय दूसरे राज्य में उक्त सूचि से बाहर है। आदिवासी की अवस्था पूरे विश्व में एक ही रहता है। संविधान के अनुच्छेद 342 के द्वारा अनुसूचित जनजाति निर्धारित करने की व्यवस्था है। अनुच्छेद 3421 के तहत भारत के राष्ट्रपति राज्य के राज्यपाल से प्रमार्श लेकर किसी भी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे सकते हैं। इसके अलावा अनुच्छेद 3422 के तहत संसद कानून बनाकर किसी भी समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल या सूची से बाहर कर सकता है। अनुसूचित जनजाति की सूची राज्यवर अ...

आदीवासी लोग मंदिर/चर्च/आदि जगहों पर क्यों जाते हैं ?

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आदीवासी  लोग मंदिर/चर्च/आदि जगहों पर क्यों जाते हैं ?              जोहार  साथियों!! हमारे किसी facebook मित्र ने सभी आदिवासी साथियों से एक सवाल किया था कि "आखिर आदीवासी लोग मंदिर/चर्च/आदि जगहों पर क्यों जाते हैं " तो इस सवाल ने मुझे बहुत परेशान किया था और मैने पाया कि- और जो कुछ हमने पाया वो बातें आप सभी लोगों से साझा करने के दिल किया जो इस तरह से है!! प्रकृति से दूर हो कर किसी न किसी भी तरह से भोग वस्तों को कैस्नो प्राप्त कर ले !! ये सब कुछ एक आकर्षण है और एक झुठा अभिमान के सेवायें और कुछ भी नहीं !! जिस तरह से रात को जुगनुओं का झुण्ड ये समझ कर बहूत इत्रता(घमंड) दिखता है कि हम लोगों के कारण से ही जग(संसार) में रौशनी फैलती हैं !!      पर जब रात होने लगती हैं तो पुरे आकाश में सितारे टिमटिमने लगती हैं और फिर सितारे ये गलतफहमियां पाल लेते हैं कि पुरे विश्व में हमारे द्वारा ही रौशनी फैल रही है पर __ कुछ देर बाद ही सितारों का झुठा स्वाभिमान टूटता सा महसूस होता है जब पुर्ण चंद्रमा अपनी चंदनी की रौशनी चारों ओर ...

About Adivasi (Hindi)

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             आदिवासी       आदिवासी का शाब्दिक अर्थ है- आदिम बम की जातिया। यह भी प्रमाण-मिलता है कि औपनिवेशिक दुग के पूर्व आदिवासियों की अपनी स्वतंत्र मन्ना थी। जल, जंगल, जमीन और प्रकृति के संसाधनों पर उनका अधिकार था परन्तु जैसे- जैसे साम्राज्यवादी ताकतें बढ़ती गई, औपनिवेशिक सत्ताएं मजबूत होती गई. वैसे-वैसे आदिवासियों पर अत्याचार, शोषण बढ़ता गया। उनके संसाधनों पर जबरन कब्जा कर उन्हें अपनी जमीन से बेदखल किया जाने लगा। यह भी कि अपनी स्वायत्ता और अस्मिता के लिए जितना और जिस व्यापक पैमाने पर आदिवासियों ने पिडोह किया, उतना देश के किसी अन्य जवके ने नहीं किया। पूर्वोत्तर में सात राज्यों का गठन और कुछ ही यों पूर्व झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड (सभी आदिवासी बहुल) का गठन आदिवासी अस्मिता की लड़ाई का सबूत है। यह हकीकत है कि इस धरा का मूल निवासी तथाकथित सभ्य समाज की बर्बरता से जंगलों, कंदराओं की ओट में रहने के लिए विवश रहा। प्रकृति से साहचर्य स्थापित कर जल, जंगल और जमीन के किसी कोने में दुवाका या विकास और सुविधा-संसाधन स...

The right of Adivasi

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          The right of Adivasi (Indigenous)                          According to the UNDRIP, the right of Adivasi (indegenous) are as follows....... Article 1 Indigenous peoples have the right to the full enjoyment, as a collective or as individuals, of all human rights and fundamental freedoms as recognized in the Charter of the United Nations, the Universal Declaration of Human Rights and international human rights law. Article 2 Indigenous peoples and individuals are free and equal to all other peoples and individuals and have the right to be free from any kind of discrimination, in the exercise of their rights, in particular that based on their indigenous origin or identity. Article 3 Indigenous peoples have the right of self-determination. By virtue of that right they freely determine their political status and freely pursue their economic, social and cultural development....

First Adivasi woman pilot

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आदिवासी लड़की बनी  पहली कमर्शियल पायलट |     ओडिशा के माओवादी प्रभावित मल्कानगिरी जिले की रहने वाली एक लड़की ने ऐसा काम किया है | जिससे भविष्य में कई लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी | 27 साल की यह आदिवासी लड़की व्यावसायिक विमान उड़ाने वाली राज्य की पहली महिला बन गई है| इस लड़की का नाम अनुप्रिया मधुमिता लाकड़ा है जो मल्कानगिरी जिले के पुलिस कांस्टेबल की बेटी है | उसका बचपन से पायलट बनने का सपना था | जो इस महीने(सितंबर) इंडिगो एयरलाइंस में बतौर को-पायलट के तौर पर शामिल होने से पूरा हो गया |  मल्कानगिरी के पुलिस कांस्टेबल मरीनियास लाकड़ा और मां जिमाज यास्मीन लाकड़ा ने बेटी की इस उपलब्धि पर कहा कि उसने ना केवल अपने परिवार को बल्कि पूरे राज्य को गौरवान्वित किया है |     

Tea tribe of Assam (Hindi)

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असम की चाय जनजाति। चाय-बाग समुदाय असम में चाय-बाग श्रमिकों के बहु जातीय समूह हैं। यह उन सक्रिय चाय बागानों के श्रमिकों और उनके आश्रितों को निरूपित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक शब्द है जो असम में फैले 800 चाय सम्पदा के अंदर बने श्रम क्वार्टरों में रहते हैं। उन्हें चाय-जनजाति के रूप में भी जाना जाता है। वे 1860-90 के दशक के दौरान औपनिवेशिक असम में मुख्य रूप से झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के आदिवासी और पिछड़ी जाति के वर्चस्व वाले मजदूरों के रूप में ब्रिटिश औपनिवेशिक बागानों द्वारा लाए गए आदिवासियों और पिछड़ी जातियों के वंशज हैं। चाय बागान उद्योग में मजदूरों के रूप में काम करने के उद्देश्य से कई चरण। चाय-जनजातियां विषम, बहु-जातीय समूह हैं जिनमें कई जनजातीय और जाति समूह शामिल हैं। वे मुख्य रूप से ऊपरी असम और उत्तरी ब्रह्मपुत्र बेल्ट के उन जिलों में पाए जाते हैं जहाँ कोकराझार, उदलगुरी, सोनितपुर, नागांव, गोलाघाट, जोरहाट, शिवनगर, चरैदेव, डिब्रूगढ़, तिनसुकिया जैसे चाय बागानों की उच्च सांद्रता है। असम के बराक घाटी क्षेत्र के साथ-साथ कछार, कर...

Tea tribe of Assam

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         Tea tribe of Assam (Adivasi)         Tea-garden community are multi ethnic groups of Tea-garden workers in Assam. It is a term used to denote those active tea garden workers and their dependents who reside in labour quarters built inside 800 Tea estates spread across Assam.They are also known as Tea-tribe. They are the descendants of tribals and backward castes brought by the British colonial planters as indentured labourers from the predominantly tribal and backward caste dominated regions of present-day Jharkhand, Odisha, Chhattisgarh, West Bengal and Andhra Pradesh into colonial Assam during 1860-90s in multiple phases for the purpose of being employed in the tea gardens industry as labourers. Tea-tribes are heterogeneous, multi-ethnic groups which includes many tribal and caste groups. They are found mainly in those districts of Upper Assam and Northern Brahmaputra belt where there is high concentration of tea gardens lik...

About Adivasi/Banwasi

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                  आदिवासी कौन है ? आदिवासी शब्द दो शब्दों 'आदि' और 'वासी' से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है। भारत की जनसंख्या का 8.6% (10 करोड़) जितना एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का है। पुरातन लेखों में आदिवासियों को अत्विका और वनवासी भी कहा गया है (संस्कृत ग्रंथों में)। महात्मा गांधी ने आदिवासियों को गिरिजन (पहाड़ पर रहने वाले लोग) कह कर पुकारा है। भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए 'अनुसूचित जनजाति' पद का उपयोग किया गया है। भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में किरात गोंड,मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, भील, डामोर खासी, सहरिया, संथाल, मीणा, उरांव,लोहरा, परधान, बिरहोर, पारधी, आंध, टाकणकार आदि हैं। भारत में आदिवासियों को प्रायः 'जनजातीय लोग' के रूप में जाना जाता है। आदिवासी मुख्य रूप से भारतीय राज्यों उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में मुख्यतः बाँसवाड़ा डूंगरपुर , गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक है जबकि भारतीय पूर्वोत्तर राज्यों में यह बहुसंख्यक हैं, जैसे मिजोरम। भारत स...

Nagpuri l Sadri l jharkhandi l Adivasi shayari l Sadrishayari

Nadpuri # Sadri # jharkhandi # Adivasi shayari # Sadrishayari 1) Mor Likhal shayri Tor dimaq me chaip jawok Tor Dil me baith jawOR. Kahiyo Ni bhulabe aishan hoi jawok Mor pyar ker ahsas toke hoi jawok. Jab Sun be mor shayri pyar toke jabardast hoi jawok Emor khwais pura hoi jawok. 2) Tor mor pyar Jaisan Tom & jerry ker yaar. kavi pyar toh Kavi war Hamesa rahab ehe niyar Karab pyar.... Karab war.. Lekin, kavi Ni howab juda sunle re mor dular Toi he toh mor pehla pyar Jiona sirf torle samaijh le mor pyar 3) Toke man ahe moke ignore karek ker Moke man ahe toke dhair rakhek Ker Aisan ka khafa holak mor se Je baat karle dur howek mor se wada toi karle mor se Nibhaik sochole dosar se Pyar nakhe kahi dete suru se Dur hoi jato Tor jindagi se.... 4)Adad rahe Tor se baat karek ker Adad rehe Tor hasi dekhek ker.. Tor adad mor adad bain Jai rehe Tor adad mor me samai Jai rehe. Aisan ka Hawa alak je ki saub ke udai...

Adivasi/Sadri shayari

          Adivasi/Sadri/Nagpuri                  Shayari/sadrishayari      1) Aij Mausam suhana lagela Moi toke kuch kahek khojona Aij mood romantic lgela Dil me kuch halachal howela Kaise kahmu dil ker baat moke tor dar lagela... 2) Tor roop ker moi diwana Toke mor pass dekhek khojona Tor asra moi dekhona Tor intijar moi karona Din ni bitel sele torse baat karona Tor photo dekhte rahona Man ni bharel khne video call karona Kahi moke freindzone ni kair debe kaike Aij mor dil ker baat toke kahona        I LOVE YOU mor shona 3) Toi jainis moke tor dhinta rahel Toi janis nmoke tor khyal ate rahel Sele toke hardum phn karte rahon Agar toke nakhe pasand hole kahi de Dur hoi jamu moi ekhane se... 4)Alak february 14 tarik Dil me kuch holak tanik Man me ehsas holak toi mor khas hekis tanik Dil ker baat kese kahmu dar ahe moke tanik Sele detho gulab toi bujh tan...

Sadri/Adivasi kahawat

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Sadri/Adivasi kahawat

आदिवासी हिन्दू नहीं है

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जनगणना 2021 : ‘आदिवासी कॉलम नहीं ,तो जनगणना नहीं’ का नारा बुलंद करने दिल्ली में जुटेंगे आदिवासी!' सरना टुडे,दिल्ली: आगामी 18 फरवरी को आदिवासी समुदाय के लोग दिल्ली के जंतर-मंतर पर जुटेंगे। उनकी मांग है कि जनगणना प्रपत्र में उनके लिए पृथक धर्म कॉलम हो। इसकी वजह यह कि वे स्वयं को हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी नहीं मानते। अगले वर्ष 2021 में होने वाली जनगणना के आलोक में देश के सभी राज्यों के आदिवासी अपने लिए धर्म कोड के रूप में आदिवासी की मांग को लेकर आगामी 18 फरवरी, 2020 को दिल्ली के जंतर-मंतर एवं सभी राज्यों के राजभवन के सामने एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन करेंगे।  बताते चलें कि अंग्रेजी शासन काल में आदिवासियों के लिए आदिवासी धर्म कोड था, जिसे आजादी के बाद 1951 में खत्म कर दिया गया। इसके साथ ही आदिवासियों पर हिंदू धर्म थोपने की प्रक्रिया शुरू हो गई। आदिवासी इसी का विरोध कर रह हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नीतिशा खलको के मुताबिक जनगणना प्रपत्र में आठ कॉलम हैं जिनका उपयोग धर्म की पहचान के लिए किया जाता रहा है। इनमें सात कॉलम हिंदू, सिक्ख, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, ...

आदिवासी बचाओ ~जंगल बचाओ

आदिवासी बचाओ ~जंगल बचाओ By Satish Pendam जंगल बचाओ ~  आदिवासी बचाओ 

Our motive:(Hindi)

1. हमारा उद्देश्य हमारे समुदायों को राजनीतिक और सामाजिक स्थिति के बारे में जागरूक करना है। 2.और उन लोगों को भी प्रोत्साहित करना जो हमारी वर्तमान स्थिति के बारे में सक्रिय हैं और हमारे समुदाय के लिए जागरूक हैं। 3.उन लोगों को एक डिजिटल मंच प्रदान करना जो लेख, कहानी और कविता आदि लिखने में माहिर हैं l

Our motive:(English)

1.Our aim is to aware about political and social situation to our communities. 2.And also encouraging to those people who are active about our current situation and engage to aware to our community. 3.To provide a digital plateform to those people who are expert in writting article,story, and poem  etc.